डॉक्टरों की लापरवाही से इलाज के अभाव में 8 साल की मासूम ने जिला अस्पताल में तोड़ा दम
पंकज कुमार श्रीवास्तव, कन्नौज।गरीबी का दंश कभी-कभी अभिशाप सा लगने लगता है। मानो ऐसा लगता है कि अगर जेब में रुपए होते तो शायद किसी जरूरतमंद की जान बच सकती थी, इसके अलावा तमाम शासन के दावे और योजनाएं भी तब केबल औपचारिकता मात्र लगती हैं जब सरकार के दावों के बाद भी एक सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते इलाज के अभाव मे किसी मासूम की जान चली जाती है। तब यही लगता है कि काश ईश्वर ने गरीबी न दी होती और सरकारी अस्पताल की जगह प्राइवेट अस्पताल में कम से कम पैसे देकर उपचार तो मिल जाता तो शायद मरीज की जान भी बच जाती।
ऐसा ही एक मामला कन्नौज जिला अस्पताल में सामने आया, जिसमें मानवता भी शर्मसार होती नजर आई, यहां पेट दर्द के उपचार को लेकर भर्ती कराई गई एक 8 साल की बच्ची ने उपचार के डॉक्टरों के न मिल पाने से इलाज के अभाव में दम तोड दिया। बच्ची का पिता पागलों की तरह बदहवास हालत में जिला अस्पताल मे डॉक्टरों के लिए दौड़ता रहा लेकिन उसकी सुनने वाला शायद कोई नहीं था।
आपको बताते चलें कि हरदोई जिले के निवासी विनोद पुत्र सोनेलाल और मुन्नी देवी एक 8 साल की बच्ची को लेकर कन्नौज के जिला अस्पताल रविवार की दोपहर पहुंचे थे। बच्ची को पेट दर्द की शिकायत थी और उसकी हालत गंभीर थी। बच्ची अस्पताल में भर्ती तो कर ली गई, लेकिन ना तो बच्ची को देखने और उपचार के लिए कोई डॉक्टर था और ना दवाये। अपनी लाडली बेटी को बचाने के लिये बच्ची का पिता पूरे अस्पताल में इधर- उधर देर रात तक डॉक्टरों को देखता हुआ दौड़ता रहा, लेकिन बच्ची के लिये न दवाएं मिल सकीं और ना ही कोई डाक्टर। आखिर पागलों की तरह बदहवास हालत में चीखता चिल्लाता पिता टूट कर रह गया और ईश्वर से खुद को गरीब होने को लेकर कोसता रहा। आखिर में सोमवार की सुबह 4 बजे मासूम बच्ची की इलाज के अभाव में मौत हो गई।
समय पर डॉक्टर न मिलने से मरीज हार जाता है जिंदगी की जंग
मामला पुलिस की जानकारी में आया तो पुलिस बल भी मौके पर पहुंच गया, लेकिन इससे पहले कि पुलिस कोई कार्यवाही करती, बच्ची की मौत से टूट चुका पिता अपनी मृत बेटी के शव को कंधे पर लादकर अपने परिजनों के साथ बिना कार्यवाही के ही हरदोई स्थित अपने गांव के लिये रवाना हो गया। अब सवाल यह उठता है, कि शासन की तमाम योजनाओं के बाद भी निशुल्क उपचार आदि कई योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पाता है। वहीं कई हॉस्पिटल में कही दवा के अभाव तो कहीं डाक्टरों के न मिलने से कई लोग अपनी जिंदगी की जंग तक हार जाते हैं। ऐसा ही एक माजरा जब कन्नौज जिला अस्पताल में सामने आया तो मानवता भी शर्मशार होती नजर आई।
सही समय पर मिल जाता उपचार तो बच गयी होती बच्ची की जान
सरकारी अस्पतालो के लिए सुविधाएं तो दे रही है लेकिन उन सुविधाओं को मरीज तक पहुंचाने वाला डाक्टर जब इलाज करने के लिए न हो तो ऐसी सुविधाओं का क्या फायदा । कन्नौज का जिला अस्पताल ज्यादातर एक रिफर सेंटर बनकर रह गया है और यहाँ हर मरीज को ज़्यादातर कानपुर के लिए रिफर कर दिया जाता है और अगर जो मरीज रिफर न हो तो वह शायद इलाज के अभाव मे दम तोड़ देता है जैसा देखने को मिला कि जिला अस्पताल में उपचार की अभाव और डॉक्टरों के ना मिलने से जिस बच्ची की मौत हुई, उसका कुछ समय पहले एक पैर खेलते वक्त टूट गया था। परिजनों ने प्लास्टर चढ़वाया तो उसी पैर में पस पड़ गया। जिससे पेट दर्द की शिकायत के अलावा बच्ची की पैर में इन्फेक्शन भी हो गया था। जिसका इलाज कराने उनका पिता और परिजन हरदोई जिले के राघौपुर से कन्नौज जिला अस्पताल आये थे। यहां बच्ची की मौत के बाद उसके पिता ने जिला अस्पताल के डॉक्टरों को बेटी की मौत का जिम्मेदार ठहराया है।
May 27 2024, 18:03