कल्पना सोरेन की इंट्री उड़ीसा में,उन्होंने एक सभा को संवोधित करते हुए कहा-आदिवासी,दलित्,कई अल्पसंख्यंक से सरकार को यहाँ कोई मतलब नही है
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झारखंड डेस्क
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की धर्म पत्नी कल्पना सोरेन ने झारखंड के बाद अब ओडिशा में एंट्री ली है। उन्होंने वहां की राज्य सरकार और केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यहाँ की आदिवासी की हमेशा उपेक्षा हुई।उनकी सुविधाओं का ख्याल नही रखा गया ना उनके विकास पर ध्यान दिया गया।
दरअसल, गुरुवार को झामुमो प्रमुख शिबू सोरेन की बड़ी बेटी अंजनी सोरेन ने ओडिशा की मयूरभंज लोकसभा सीट से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया।
इनके नामांकन में पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और कांग्रेस के मंत्री बन्ना गुप्ता आदि शामिल हुए और नामांकन के बाद चुनावी सभा को संबोधित किया।
कल्पना सोरेन ने कहा कि ओडिशा की राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार और उसकी अलग-अलग एजेंसियां, इन्हें केवल खनिज संपदा से मतलब है, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों से कोई मतलब नहीं है, न ही इनके हालात से मतलब है।
उन्होंने कहा कि मयूरभंज वृहद झारखंड का हिस्सा रहा है। झारखंड के साथ-साथ ओडिशा भी खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य है। यहां पर बहुत मेहनती लोग हैं, किसान हैं, मगर पीने का पानी और सिंचाई के लिए पानी की घोर किल्लत है।
सिंचाई की असुविधा होती है। इसके कारण साल में एक ही बार फसल मिल पाती है। ओडिशा में बीजेडी की सरकार चल रही है, जिसे भाजपा का भी समर्थन है, लेकिन इन्हें अदिवासियों से कोई लेना-देना नहीं है। आदिवासियों को केवल ठगा गया है।
कल्पना ने कहा कि चुने सांसदों और विधायक को इतना भी समय नहीं है कि आपकी समस्या को संसद या विधानसभा में उठा सकें। लोगों को भ्रमित किया जा रहा है। इसमें हमारे बीच के भी कुछ लोग शामिल हैं।
झारखंड में भाजपा के खिलाफ आंदोलन का शंखनाद किया जा रहा है। अब ओडिशा के आदिवासियों को भी कमर कस लेना हेागा। आदिवासियों को खैरात में कभी कुछ नहीं मिलता है। जब देश में आजादी के सपने भी नहीं देखे गए, तब हमारे तिलका मांझी, सिदो-कान्हू, फूलो-झानो ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था।
इन वीरों की राह पर चलते हुए दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा को खत्म करने और अलग झारखंड राज्य की निर्णायक लड़ाई लड़ी। अब उनके बेटे हेमंत सोरेन के नेतृत्व में 2019 में दलित, पिछड़े, किसान, आदिवासी, मूलवासी झारखंडियों और अपने लोगों की सरकार बनी। चुनाव का समय है, झूठ बोलकर लोगों को भटकाया जाएगा। खनिज-खजाना का हक यहां रहने वाले लोगों को मिलना चाहिए।
भाजपा के नेताओं को आदिवासी शब्द से नफरत है, ये आदिवासी को वनवासी कहते हैं। दूसरी ओर हमारी सरकार गर्व से झारखंड में आदिवासी दिवस मनाते हैं। उन्होंने हिंदी और उड़िया भाषा में अंजनी सोरेन के लिए वोट अपील की।
May 10 2024, 15:09