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हरियाणा में स्थिति हो रही सामान्य ,नूह के तीनों मस्जिद में पढ़े गए आज जुम्मे का नमाज,कोई अप्रिय घटना नही हो इसके लिए तैनात किए गए पुलिस बल


हरियाणा के नूंह हिंसा के बाद फैले तनाव के बीच शुक्रवार को दोपहर एक से दो बजे के बीच जुमे की नमाज पुलिस सुरक्षा के बीच शुरू हुई। किसी तरह की अप्रिय घटना न हो, इसके लिए शहर की तीनों मस्जिद के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। 

दो डीएसपी व चार थाना प्रभारियों सहित 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। डीएसपी मुख्यालय डॉक्टर रवींद्र ने बताया कि माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण है, लेकिन पुलिस प्रशासन किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहता। इसलिए पुलिस बल तैनात किया गया है।

डीएसपी बोले, माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण 

हिंदू संगठनों की तरफ से मेवात के नूंह स्थित नल्हड़ में सोमवार को धार्मिक यात्रा निकाली जा रही थी। आगजनी व तोड़फोड़ के बाद हिंसा भड़क गई थी। ऐसे में जिला पुलिस प्रशासन हालात को लेकर सतर्क है। हर शुक्रवार को मस्जिदों में जुमे की नमाज पढ़ी जाती है। ऐसे में किसी तरह की गड़बड़ी न हो, इसलिए शहर की तीनों मस्जिदों के बाहर पुलिस बल तैनात किया गया है। 

एएसपी की लगी नूंह में ड्यूटी, एएसपी ने संभाली की कमान

एसपी हिमांशु गर्ग ने हिंसा के बाद नूंह में ड्यूटी लगी हुई है। इसके अलावा रोहतक से पुलिस बल भी भेजा गया है। सीआईए प्रथम व सीआईए द्वितीय की टीमें भी गई हुई हैं। 

पुलिस पूरी तरह अलर्ट, कानून व्यवस्था भंग की तो सख्ती से निपटेगी पुलिस

शुक्रवार को मस्जिदों में जुमे की नमाज होती है। इसके लिए किला रोड स्थित लाल मस्जिद, चमेली मार्केट स्थित शीशे वाली मस्जिद व जींद रोड स्थित मस्जिद पर पुलिस तैनात की है। -डॉक्टर रवींद्र कुमार, डीएसपी मुख्यालय।

पीएम मोदी राजग के 48 सांसदों से मिले, कहा सबसे बड़ी जाति गरीब है उसके लिए काम करो


दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार रात को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के 48 सांसदों के साथ मीटिंग की। रिपोर्ट्स के मुताबिक संसद की एनेक्सी बिल्डिंग में हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री ने सांसदों से कहा है कि गरीब ही सबसे बड़ी जाति है, उनके लिए काम करो। 

उन्होंने यह भी कि केंद्र सरकार ने आम लोगों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। सरकार का लक्ष्य गैर-बीजेपी शासित राज्यों में राज्य मशीनरी की मदद के बिना इन योजनाओं का लाभ जनता को देना है।

हरियाणा के चार जिलों में पैरामिलिट्री तैनात,प्रभावित क्षेत्र में 5 अगस्त तक इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद


हरियाणा के नूंह में हुई हिंसा के तीसरे दिन भी राज्य के 4 जिलों में हालात तनावपूर्ण है। 

नूंह, पलवल, फरीदाबाद और गुरुग्राम के सोहना, मानेसर और पटोदी में 5 अगस्त तक इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद। इन चारों जिलों में पैरामिलिट्री फोर्सेज की 20 कंपनियां तैनात की गई हैं।

 नूंह में बुधवार देर रात तावडू इलाके में कुछ लोगों ने अशांति फैलाने की कोशिश की पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति संभाली। जिले में 3 दिनों से जारी कर्फ्यू में आज 3 घंटे की छूट दी गई है।

लोकसभा में पेश हुआ डेटा प्रोटेक्शन बिल, विपक्षी दलों ने उठाये सवाल


नईदिल्ली : गुरुवार को लोकसभा में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 पेश किया। बता दें कि यह बिल सरकार द्वारा पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (PDP) बिल वापस लेने के ठीक एक साल बाद पेश किया गया है। व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा के लिए रूपरेखा तैयार करने का सरकार का दूसरा प्रयास है। एक अगस्त को आईटी और कम्युनिकेशन पर संसदीय स्थायी समिति ने DPDP बिल का समर्थन करते हुए एक रिपोर्ट पेश की थी। डीपीडीपी विधेयक को या तो संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया जा सकता है और फिर इसे कानून का रूप दिया जा सकता है। मतदान से पहले विधेयक का संसदीय समिति द्वारा आगे अध्ययन किया जा सकता है।

विधेयक पर बहस

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सरकार इस बिल के जरिए सरकार कानून और निजता के अधिकार को कुचलने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बिल को स्थायी समिति या किसी अन्य मंच पर चर्चा के लिए भेजा जाना चाहिए इस बिल का एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी समेत तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय और कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी विरोध किया।

समिति को भेजे जाने की जरुरत नहीं: राजीव चंद्रशेखर

इस बारे में केंद्रीय मंत्री राजीव चन्द्रशेखर का कहना है कि निश्चित रूप से विधेयक पर विचार करने के लिए किसी समिति की आवश्यकता नहीं दिखती, क्योंकि विधेयक पर व्यापक परामर्श किया गया है। विधेयक और यह पूरा विचार या नागरिकों की सुरक्षा की पूरी अवधारणा संसद की एक संयुक्त समिति के माध्यम से आगे बढ़ी है। हम विधेयक के संबंध में पहले ही बहुत देर कर चुके हैं और इस विधेयक में और देरी नहीं की जा सकती क्योंकि यह ऐसा करने वाले कई प्लेटफार्मों द्वारा व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक को पेश किये जाने के विरोध में विपक्षी दल जिस तरह खड़े हो गए, वह अत्यंत रहस्यमय और समझ से परे लगता है।

बिल में क्या है?

इस विधेयक का उद्देश्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और व्यावसायिक घरानों आदि को गोपनीयता के अधिकार के तहत नागरिकों के डेटा को इकट्ठा करने, उनका भंडारण करने और उसके इस्तेमाल को लेकर अधिक जवाबदेह बनाना है। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, जिसके बाद डेटा प्रोटेक्शन बिल पर काम शुरू हुआ। सरकार के मुताबिक इस बिल के पारित होने के बाद सोशल मीडिया और अन्य कंपनियों द्वारा भारतीय नागरिकों के डेटा का इस्तेमाल करने संबंधी मनमानी खत्म हो जाएगी। साथ ही ऐसा करने पर इन कंपनियों पर भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

हेल्थ टिप्स:शरीर में स्टेमिना और एनर्जी बढ़ाने के लिए डायट में शामिल करे ये फूड्स नही होगी थकान


दिल्ली:- स्टेमिना वह एनर्जी और स्ट्रेंथ है जो आपके पास पहले से मौजूद है। स्टैमिना वह शक्ति है जो हमें दिनभर की गतिविधियों को करने की क्षमता प्रदान करती है। अगर आपको थकावट महसूस हो रही है या आप अपने स्टैमिना को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको अपने आहार में कुछ महत्वपूर्ण फूड्स शामिल करने की आवश्यकता हो सकती है। दरअसल इसमें शाकाहरी और मांसाहारी चीजें दोनों ही शामिल हैं। ऐसा नहीं है की आप शाकाहारी हैं तो आपके लिए विकल्प कम हैं। कुछ लोग ऐसे हैं जिनका ऐसा मानना है कि उनके पास मांसाहार करने वालों से कम विकल्प होते हैं। आज कल तो स्टेमिना बढ़ाने के लिए बाहार कई प्रकार की चीजें उपलब्ध हैं लेकिन आप बाजार की चीजों का इस्तेमाल कम ही करेंगे, तो ये आपकी सेहत के लिए ज्यादा फयदेमंद होगा। क्योंकि बाहर के प्रोडक्ट्स में केमिकल्स पाए जाते हैं। जो आपकी सेहत को नुकसान पहुँचा सकते हैं। यहां हम आपके लिए 8 ऐसे फूड्स आइटम लाए हैं जो आपको अपने स्टैमिना को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं-

स्टैमिना बढ़ाने वाले फूड्स

1. बादाम

बॉडी में स्ट्रेंथ को बढ़ाने और बनाए रखने के लिए लोगों को रोजाना बादाम खाने की आदत डालनी चाहिए। बादाम का खाने से मेटाबॉलिज्म बढ़ने में काफी सहायता मिलती है। इसके साथ ही इनमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स स्टेमिना बढ़ाने के लिए भी बेस्ट हैं। बादाम में हेल्दी फैट होता है जो वजन को कंट्रोल करने के साथ ही दिमाग तेज करता है और हड्डियों को भी मजबूत बनाता है। बादाम में प्रोटीन, विटामिन Eऔर आयरन की अच्छी मात्रा होती है, आप सुबह-शाम एक हैंडफुल बादाम खाकर अपने स्टैमिना को बढ़ा सकते हैं।

2. केला

केले में ढेर सारा विटामिन होता है, ये आपके स्टेमिना को बूस्ट करता हैं। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर और पोटैशियम होता है, जो आपके शरीर में ऊर्जा को बनाए रखता है। दरअसल केले को सबसे अच्छा प्री-वर्कआउट स्नैक्स माना जाता है। इसके अलावा यह डोपामाइन को भी बढ़ाता हैं, जो शरीर में फील-गुड हार्मोन होते है, जिससे काम करने में थकावट कम होती है।

3. पीनट बटर

पीनट बटर में ओमेगा 3 फैट्स काफी मात्रा में पा जाते हैं. ये आपकी ऊर्जा को बढ़ाते है और साथ ही आपकी मांसपेशियों को मजबूती देते हैं। हेल्दी फैट और प्रोटीन से भरपूर पीनट बटर को आप ब्राउन ब्रेड के साथ खा सकते हैं ये आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।

4. हरी पत्तेदार सब्जियां

हरी पत्तेदार सब्जियां आपके स्टैमिना को बढ़ाने में काफी मददगार होती हैं यह आपके शरीर में लौह तत्व की कमी को पूरा करती हैं। इसके अलावा यह आपके शरीर में वि‍टामिन ए, कैल्श‍ियम और अन्य पोषक तत्वों की आपूर्ति भी करती हैं।

5. दही

दही कैल्शियम और प्रोटीन का हेल्‍दी स्रोत है। लेकिन यह सिर्फ इतना ही नहीं करता। यह आपके पेट के लिए सूदिंग होता है और पचने में भी आसान है, इसलिए यह आपके वर्कआउट से पहले या खाली पेट खाने के लिए भी बहुत अच्छा आहार है। दही में कुछ फलों को शामिल कर आप न्यूट्रिशन और स्टैमिना को बूस्ट कर सकते हैं।

6. दलिया

दलिया सबसे अच्छी चीजों में से एक है, जिनसे आप अपने दिन की शुरुआत कर सकते हैं। दलिया पोषक तत्व और फाइबर से भरपूर होता है इसके कारण, आपके शरीर को बहुत आवश्यक ऊर्जा प्राप्त होती है।

7. खट्टे फल

खट्टे फलों को विटामिन सी का बहुत अच्छा स्रोत माना जाता हैं। इसके साथ ही इन फलों में फाइबर, कैल्शियम, विटामिन बी6 जैसे आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं। संतरा, नींबू, आंवला जैसे खट्टे फलों को विटामिन सी का अच्छा स्रोत माना जाता है। इन फलों के सेवन से स्टेमिना और इम्यूनिटी दोनों बढ़ती है।

8. नारियल पानी

नारियल पानी में विटामिन्स, मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स होते हैं जो शरीर को ताजगी और स्टैमिना प्रदान करते हैं। साथ ही कई गंभीर रोगों के जोखिम को भी कम करता है। नारियल पानी में कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटेशियम, जरूरी एंजाइम्स और अमीनो एसिड मौजूद होते हैं, जो आपको सेहतमंद रखने में भी अपनी भूमिका निभाते हैं।

‘मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं’ है, जानिए राज्यसभा में सभापति ने ऐसा क्यों कहा...?

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में गुरुवार का दिन अहम होने जा रहा है। आज लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा और फिर वोटिंग हो सकती है। इस बीच, सदन के दोनों सदनों में हंगामा जारी है। गुरुवार को भी सदन शुरू होते ही मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया। दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी।

पीएम मोदी का बचाव नहीं: सभापति जगदीप धनखड़

मणिपुर हिंसा पर चर्चा और प्रधानमंत्री को राज्यसभा में बुलाए जाने पर सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच बहस हो गई। मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल किया कि मणिपुर बहस पर विपक्ष की मांग पर सभापति पीएम का बचाव क्यों कर रहे हैं?

इस पर सभापति ने जवाब दिया, “मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे किसी का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे संविधान और आपके अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है। नेता प्रतिपक्ष की ओर से इस तरह की टिप्पणी बहुत अच्छी नहीं है।”

दिल्ली सेवा बिल पर सरकार को टीडीपी का साथ

लोकसभा में बिल पारित करवाना केंद्र सरकार के लिए जरा भी मुश्किल भरा नहीं होगा। इस बीच, तेलुगु देशम पार्टी (TDP) से भी आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को तगड़ा झटका लगा है। TDP ने बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन करने का फैसला किया है।

आज लोकसभा में पेश होगा डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल

इस बीच, डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट पिछले दिनों अपनी मंजूरी प्रदान कर चुकी है।केंद्र सरकार ने दिसंबर, 2019 में संसद में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 पेश किया था। इसके बाद बिल को विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था।

विचार-विमर्श के बाद संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंप दी थी। विभिन्न पक्षों और एजेंसियों द्वारा फीडबैक के मद्देनजर अगस्त, 2022 में बिल को वापस ले लिया गया था। 18 नवंबर, 2022 को सरकार ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के नाम से नए बिल का मसौदा प्रकाशित किया था और इस पर लोगों से चर्चा की शुरुआत की थी।

इस विषय पर व्यापक और विस्तार से चर्चा हुई। इस पर लोगों से 21,666 टिप्पणियां प्राप्त हुईं थीं और क्षेत्र के 46 संगठनों, संघों और औद्योगिक निकायों से विचार-विमर्श किया गया था।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में दी जानकारी, गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक हिरासत हुई मौतें

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में हिरासत में मौतों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2023 तक देश के विभिन्न हिस्सों में पुलिस हिरासत में 687 लोगों की मौत हो गई है.

संसद में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में पुलिस हिरासत में 81 मौतें हुईं, जबकि इसी अवधि के दौरान महाराष्ट्र में ऐसी 80 मौतें हुईं.

उन्होंने कहा कि गुजरात में 2018-19 में 13 मौतें, 2019-20 में 12 मौतें, 2020-21 में 17 मौतें, 2021-22 में 24 मौतें और 2022-23 में 15 मौतें हुईं. इसी तरह, महाराष्ट्र में 2018-19 में 11 मौतें हुईं, 2019-20 में 3 मौतें हुईं, 2020-21 में 13 मौतें हुईं, 2021-22 में 30 मौतें हुईं और 2022-23 में 23 मौतें हुईं. राय लोकसभा में एक लिखित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे. मंत्री ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में पुलिस हिरासत में 50, बिहार में 47, उत्तर प्रदेश में 41 और तमिलनाडु में 36 मौतें हुईं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए, राय ने कहा कि 2022-23 में पुलिस हिरासत में कुल 164 मौतें, 2021-22 में 175, 2020-21 में 100, 2019-20 में 112 और 2018-2019 में 136 मौतें हुईं. राय ने अपने जवाब में कहा कि एनएचआरसी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों की हिरासत में मौत के आंकड़े अलग से नहीं रखता है.

इस बीच, राज्यों में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण पर एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा कि पुलिस बलों का आधुनिकीकरण एक सतत और सतत प्रक्रिया है. यद्यपि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं, राज्यों के अपने पुलिस बलों को सुसज्जित और आधुनिक बनाने के प्रयासों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता की योजना के तहत पूरक बनाया गया है.

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में बजटीय आवंटन में भी कमी आई है. आंकड़ों से पता चला कि 2019-20 में 781.12 करोड़ रुपये और राशि के उपयोग के आधार पर बाद के वर्षों में वित्तीय सहायता में कमी आई है. वर्ष 2020-21 में 103.25 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई तथा 2021-22 में 158.56 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. 2022-23 में अब तक जारी की गई राशि 36.69 करोड़ रुपये थी.

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एसओपी अंतिम चरण में है: गृह मंत्रालय

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और संबंधित हितधारकों के परामर्श से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पत्रकारों और मीडियाकर्मियों सहित देश के सभी निवासियों की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देती है. राय ने लोकसभा में कहा, केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के परामर्श से इस संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा कानून पत्रकारों को भी कवर करते हैं. राय ने एक लिखित उत्तर में कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं और राज्य सरकारें अपराधों की रोकथाम, पता लगाने और जांच करने और अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए जिम्मेदार हैं.

गृह मंत्रालय ने समय-समय पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सलाह जारी की है और यह सुनिश्चित किया है कि कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को कानून के अनुसार तुरंत दंडित किया जाए. राय ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा पर विशेष रूप से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 20 अक्टूबर, 2017 को एक सलाह जारी की गई थी, जिसमें उनसे मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून को सख्ती से लागू करने का अनुरोध किया गया था.

1984 सिक्ख दंगा: जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका पर कोर्ट ने 4 अगस्त तक फैसला सुरक्षित रखा_

नई दिल्ली: 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में आरोपी कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका पर राउज एवेन्य स्थित सेशन कोर्ट ने चार अगस्त तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया. मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन के अनुसार टाइटलर को पांच अगस्त को पेश होना है. विशेष सीबीआई जज विकास ढुल की कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि गवाह बहुत साहस दिखाते हुए आगे आए हैं और उन्हें प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

सीबीआई का कहना है कि नए गवाहों के बयान के मुताबिक प्रथम दृष्टया इस मामले में जगदीश टाइटलर की भूमिका सामने आती है. वहीं, टाइटलर की ओर से पेश वकील ने कहा कि अभी तक टाइटलर ने कभी किसी जांच एजेंसी और आयोग को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की. उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं. इसलिए जमानत दी जानी चाहिए.

बता दें कि सेशन कोर्ट ने मंगलवार को टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. साथ ही मामले की सुनवाई बुधवार के लिए सूचीबद्ध की थी. कोर्ट ने पिछले हफ्ते सिख विरोधी दंगों से संबंधित पुल बंगश इलाके में कथित हत्याओं के मामले में टाइटलर को समन जारी कर पांच अगस्त को पेश होने का आदेश दिया था. दरअसल, जगदीश टाइटलर के खिलाफ सीबीआई की तरफ से दायर की गई सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए 26 जुलाई को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने टाइटलर को समन जारी किया था. कोर्ट ने टाइटलर को पांच अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था. अब समन के खिलाफ टाइटलर ने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है.

यह है पूरा मामला

बता दें कि सीबीआई ने 1984 के सिख दंगा मामले में 20 मई 2023 टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी और एक गुरुद्वारे में आग लगा दी गई थी. यहां एक विशेष अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा कि टाइटलर ने एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्रित भीड़ को उकसाया, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारा जल गया और तीन सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की मौत हो गई. सीबीआई ने कहा कि एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगा), 109 (उकसाने) के साथ धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए हैं.

अगर संसद के दोनों सदनों में दिल्ली सर्विस संशोधन बिल 2023 हो जाता है पारित तो दिल्ली का मुक्कदर बनेगा यही कानूनः

नई दिल्ली: संसद में विरोध और हंगामे के बीच पेश दिल्ली सर्विस संशोधन बिल 2023 को लेकर अब लोकसभा में चर्चा होगी. लोकसभा से पास होने के बाद उसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा. लोक सभा में इस बिल को पेश करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है. हालांकि, मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है.

जहां एक ओर संसद में दिल्ली को लेकर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को बिल के रूप में पेश किया जा चुका है, वहीं दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस अध्यादेश को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान पीठ को भेजा है. इस स्थिति में क्या संसद से पारित होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सर्विसेस बिल पर रोक लगा सकता है? ये सवाल लोगों के जेहन में उठ रहे हैं.

पारित होने पर दिल्ली का मुक्कदर बनेगा कानूनः

संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा साफ कहते हैं कि दिल्ली सर्विसेज बिल संसद से पारित होने के बाद कानून की शक्ल ले लेगा. वह एक्ट बन जाएगा. इसके बाद यह कानून ही दिल्ली का मुकद्दर हो जाएगा. तब उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती. राजनीतिक कारणों से अगर कोई दल ऐसा करता है तो वह जनता की आंखों में सिर्फ धूल झोंकने का काम करेगा, क्योंकि कानून बनाने का अधिकार संसद को है और संसद में कानून बन गया तो उसे कोई भी अदालत पलट नहीं सकती.

 अगर ऐसा ही होने लगे तो तमाम कानून जो संसद में पास होने के बाद बने हैं, उन सब को कोर्ट में जाकर चुनौती देकर पलटा जा सकता था. लेकिन देश का संविधान बनाते हुए बाबा साहब अंबेडकर ने इन चीजों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है.

संविधान में दिल्ली को लेकर है विशेष प्रावधानः

संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने दिल्ली को लेकर के स्पष्ट लिखा है कि केंद्र शासित प्रदेश पर संघ सरकार यानी केंद्र का नियंत्रण होगा और यहां राज्य सरकार को यह बात समझ लेनी चाहिए.

 यह पूछने पर कि केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और पिछले दिनों इस पर सुनवाई करते हुए जिस तरह मुख्य न्यायधीश ने इसे संविधान पीठ को रेफर कर दिया, ऐसे में अगर दिल्ली सेवा बिल कानून बन जाता है तो क्या इसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी? संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा कहते हैं इसका कोई औचित्य ही नहीं होगा. यह संविधान के बुनियादी ढांचे और मूल भावना के विरुद्ध है.

बता दें कि गत 19 मई को केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश की तुलना में जब दिल्ली सेवा बिल को संसद में पेश किया गया तो उसमें कुछ बदलाव किए गए. केंद्र सरकार ने बिल लाने से पहले धारा 3ए और 45डी में अहम बदलाव किए हैं. धारा 3ए अध्यादेश के हिस्से को प्रस्तावित बिल से पूरी तरह हटा दिया गया. अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा को सेवाओं से जुड़े कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा. लेकिन प्रस्तावित बिल में अध्यादेश की एक अन्य धारा 45 डी के तहत प्रावधानों को कमजोर कर दिया गया है. 45 डी बोर्ड, आयोग, प्राधिकरण और अन्य निकायों के लिए की जाने वाली नियुक्तियों से संबंधित है. इसमें नीतियों के विशेष शक्तियां उपराज्यपाल और राष्ट्रपति को प्रदान की गई है.

इसके अलावा नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी की वार्षिक रिपोर्ट को संसद और दिल्ली विधानसभा में पेश करने की अनिवार्यता के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया है. ताकि गोपनीयता बनी रहे. केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले प्रस्तावों या मामलों से संबंधित मंत्रियों के आदेशों को उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के समक्ष रखने की अनिवार्यता के प्रावधान को भी बिल में हटा दिया गया है.

दिल्ली में 3 हजार रुपए के लिए युवक की चाकू गोदकर हत्या_

नई दिल्लीःदक्षिणी दिल्ली के तिगड़ी इलाके में चाकू गोदकर हत्या की एक सनसनीखेज वारदात सामने आई है. हत्या का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा रहा है कि आरोपी चाकू से एक शख्स पर ताबड़तोड़ हमला कर रहा है. 

वहीं, आसपास मौजूद लोग इसे रोक भी नहीं रहे. लेकिन बाद में उसे लोग रोकते हैं, लेकिन तब तक उसकी जान चली जाती है. मृतक की पहचान 21 वर्षीय युसूफ अली के तौर पर हुई है.

घटना बुधवार सुबह की है. आरोपी ने युवक पर चाकू से हमला किया. इसके बाद आरोपी से शख्स बचने का प्रयास करता रहा, लेकिन वह उसमें नाकामयाब रहा. युसूफ के पिता ने पुलिस को बताया है कि बेटे के दोस्त शाहरुख ने तीन हजार रुपए के लिए हत्या की है. बेटे ने आरोपी से रुपए उधार लिए थे. लोगों ने उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया, जहां घायल शख्स की अधिक खून बहने के कारण मौत हो गई. 

फिलहाल पूरे मामले की जांच पुलिस कर रही है. हालांकि, घटना के बाद पुलिस पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. दरअसल दावा किया जा रहा है कि यह घटना तिगड़ी थाने के कुछ ही दूरी पर हुई है.

मामले की जांच में जुटी पुलिसःडीसीपी साउथ चंदन चौधरी ने बताया कि बुधवार सुबह तिगड़ी इलाके में चाकूबाजी के संबंध में सूचना मिली थी, जिसमें घायल 21 वर्षीय युसूफ अली को अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. पूरे मामले में हत्या को अंजाम पैसे के लेनदेन को लेकर दिया गया है. वहीं इस पूरे मामले में आरोपी को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दरअसल घटना के दौरान लोगों ने उसकी पिटाई कर दी थी, जिसमें वह घायल हो गया है. फिलहाल पूरे मामले की जांच पुलिस कर रही है.

बता दें बीते मई महीने में दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में चाकू घोंपकर हत्या की सनसनीखेज वारदात सामने आई थी, जिसमें पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था. आरोपी ने युवती पर दर्जन भर से अधिक बार चाकू से वार किए गए थे. मामला बाद में प्रेम-प्रसंग का सामने आया था.

"तिगड़ी इलाके से एक युवक को चाकू मारने की सूचना मिली थी. मृतक की पहचान संगम विहार में रहने वाले युसूफ अली (21 साल) के रूप में हुई है. यूसुफ के पिता शाहिद अली ने पुलिस को बताया कि तीन-चार दिन पहले शाहरुख धमकी देकर गया था. यूसुफ ने उससे तीन हजार रुपए लिए थे. शाहरुख ने इसी बात पर बेटे की हत्या कर दी."