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‘मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं’ है, जानिए राज्यसभा में सभापति ने ऐसा क्यों कहा...?

नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में गुरुवार का दिन अहम होने जा रहा है। आज लोकसभा में दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा और फिर वोटिंग हो सकती है। इस बीच, सदन के दोनों सदनों में हंगामा जारी है। गुरुवार को भी सदन शुरू होते ही मणिपुर मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा शुरू हो गया। दोनों सदनों की कार्यवाही स्थगित करना पड़ी।

पीएम मोदी का बचाव नहीं: सभापति जगदीप धनखड़

मणिपुर हिंसा पर चर्चा और प्रधानमंत्री को राज्यसभा में बुलाए जाने पर सभापति जगदीप धनखड़ और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के बीच बहस हो गई। मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल किया कि मणिपुर बहस पर विपक्ष की मांग पर सभापति पीएम का बचाव क्यों कर रहे हैं?

इस पर सभापति ने जवाब दिया, “मुझे पीएम का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे किसी का बचाव करने की जरूरत नहीं है। मुझे संविधान और आपके अधिकारों की रक्षा करने की जरूरत है। नेता प्रतिपक्ष की ओर से इस तरह की टिप्पणी बहुत अच्छी नहीं है।”

दिल्ली सेवा बिल पर सरकार को टीडीपी का साथ

लोकसभा में बिल पारित करवाना केंद्र सरकार के लिए जरा भी मुश्किल भरा नहीं होगा। इस बीच, तेलुगु देशम पार्टी (TDP) से भी आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को तगड़ा झटका लगा है। TDP ने बिल पर केंद्र सरकार का समर्थन करने का फैसला किया है।

आज लोकसभा में पेश होगा डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल

इस बीच, डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2023 गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक को केंद्रीय कैबिनेट पिछले दिनों अपनी मंजूरी प्रदान कर चुकी है।केंद्र सरकार ने दिसंबर, 2019 में संसद में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 पेश किया था। इसके बाद बिल को विचार के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था।

विचार-विमर्श के बाद संयुक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंप दी थी। विभिन्न पक्षों और एजेंसियों द्वारा फीडबैक के मद्देनजर अगस्त, 2022 में बिल को वापस ले लिया गया था। 18 नवंबर, 2022 को सरकार ने डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, 2022 के नाम से नए बिल का मसौदा प्रकाशित किया था और इस पर लोगों से चर्चा की शुरुआत की थी।

इस विषय पर व्यापक और विस्तार से चर्चा हुई। इस पर लोगों से 21,666 टिप्पणियां प्राप्त हुईं थीं और क्षेत्र के 46 संगठनों, संघों और औद्योगिक निकायों से विचार-विमर्श किया गया था।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में दी जानकारी, गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक हिरासत हुई मौतें

नई दिल्ली: गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र में पिछले पांच वर्षों में हिरासत में मौतों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है. गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2023 तक देश के विभिन्न हिस्सों में पुलिस हिरासत में 687 लोगों की मौत हो गई है.

संसद में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में पुलिस हिरासत में 81 मौतें हुईं, जबकि इसी अवधि के दौरान महाराष्ट्र में ऐसी 80 मौतें हुईं.

उन्होंने कहा कि गुजरात में 2018-19 में 13 मौतें, 2019-20 में 12 मौतें, 2020-21 में 17 मौतें, 2021-22 में 24 मौतें और 2022-23 में 15 मौतें हुईं. इसी तरह, महाराष्ट्र में 2018-19 में 11 मौतें हुईं, 2019-20 में 3 मौतें हुईं, 2020-21 में 13 मौतें हुईं, 2021-22 में 30 मौतें हुईं और 2022-23 में 23 मौतें हुईं. राय लोकसभा में एक लिखित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे. मंत्री ने आगे कहा कि मध्य प्रदेश में पुलिस हिरासत में 50, बिहार में 47, उत्तर प्रदेश में 41 और तमिलनाडु में 36 मौतें हुईं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए, राय ने कहा कि 2022-23 में पुलिस हिरासत में कुल 164 मौतें, 2021-22 में 175, 2020-21 में 100, 2019-20 में 112 और 2018-2019 में 136 मौतें हुईं. राय ने अपने जवाब में कहा कि एनएचआरसी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों की हिरासत में मौत के आंकड़े अलग से नहीं रखता है.

इस बीच, राज्यों में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण पर एक अन्य जवाब में उन्होंने कहा कि पुलिस बलों का आधुनिकीकरण एक सतत और सतत प्रक्रिया है. यद्यपि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था राज्य के विषय हैं, राज्यों के अपने पुलिस बलों को सुसज्जित और आधुनिक बनाने के प्रयासों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता की योजना के तहत पूरक बनाया गया है.

गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में बजटीय आवंटन में भी कमी आई है. आंकड़ों से पता चला कि 2019-20 में 781.12 करोड़ रुपये और राशि के उपयोग के आधार पर बाद के वर्षों में वित्तीय सहायता में कमी आई है. वर्ष 2020-21 में 103.25 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई तथा 2021-22 में 158.56 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की गई है. 2022-23 में अब तक जारी की गई राशि 36.69 करोड़ रुपये थी.

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एसओपी अंतिम चरण में है: गृह मंत्रालय

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और संबंधित हितधारकों के परामर्श से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है.

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पत्रकारों और मीडियाकर्मियों सहित देश के सभी निवासियों की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व देती है. राय ने लोकसभा में कहा, केंद्र सरकार विभिन्न एजेंसियों और हितधारकों के परामर्श से इस संबंध में एक मानक संचालन प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है. उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए मौजूदा कानून पत्रकारों को भी कवर करते हैं. राय ने एक लिखित उत्तर में कहा कि पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य के विषय हैं और राज्य सरकारें अपराधों की रोकथाम, पता लगाने और जांच करने और अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए जिम्मेदार हैं.

गृह मंत्रालय ने समय-समय पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सलाह जारी की है और यह सुनिश्चित किया है कि कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति को कानून के अनुसार तुरंत दंडित किया जाए. राय ने कहा कि पत्रकारों की सुरक्षा पर विशेष रूप से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 20 अक्टूबर, 2017 को एक सलाह जारी की गई थी, जिसमें उनसे मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून को सख्ती से लागू करने का अनुरोध किया गया था.

1984 सिक्ख दंगा: जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका पर कोर्ट ने 4 अगस्त तक फैसला सुरक्षित रखा_

नई दिल्ली: 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में आरोपी कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका पर राउज एवेन्य स्थित सेशन कोर्ट ने चार अगस्त तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया. मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी समन के अनुसार टाइटलर को पांच अगस्त को पेश होना है. विशेष सीबीआई जज विकास ढुल की कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने जगदीश टाइटलर की अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए कहा कि गवाह बहुत साहस दिखाते हुए आगे आए हैं और उन्हें प्रभावित करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.

सीबीआई का कहना है कि नए गवाहों के बयान के मुताबिक प्रथम दृष्टया इस मामले में जगदीश टाइटलर की भूमिका सामने आती है. वहीं, टाइटलर की ओर से पेश वकील ने कहा कि अभी तक टाइटलर ने कभी किसी जांच एजेंसी और आयोग को प्रभावित करने की कोशिश नहीं की. उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं. इसलिए जमानत दी जानी चाहिए.

बता दें कि सेशन कोर्ट ने मंगलवार को टाइटलर की अग्रिम जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. साथ ही मामले की सुनवाई बुधवार के लिए सूचीबद्ध की थी. कोर्ट ने पिछले हफ्ते सिख विरोधी दंगों से संबंधित पुल बंगश इलाके में कथित हत्याओं के मामले में टाइटलर को समन जारी कर पांच अगस्त को पेश होने का आदेश दिया था. दरअसल, जगदीश टाइटलर के खिलाफ सीबीआई की तरफ से दायर की गई सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए 26 जुलाई को एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट विधि गुप्ता आनंद ने टाइटलर को समन जारी किया था. कोर्ट ने टाइटलर को पांच अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था. अब समन के खिलाफ टाइटलर ने सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है.

यह है पूरा मामला

बता दें कि सीबीआई ने 1984 के सिख दंगा मामले में 20 मई 2023 टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के एक दिन बाद एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश इलाके में तीन लोगों की हत्या कर दी गई थी और एक गुरुद्वारे में आग लगा दी गई थी. यहां एक विशेष अदालत के समक्ष दायर अपने आरोप पत्र में सीबीआई ने कहा कि टाइटलर ने एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्रित भीड़ को उकसाया, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारा जल गया और तीन सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की मौत हो गई. सीबीआई ने कहा कि एजेंसी ने टाइटलर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 (दंगा), 109 (उकसाने) के साथ धारा 302 (हत्या) के तहत आरोप लगाए हैं.

अगर संसद के दोनों सदनों में दिल्ली सर्विस संशोधन बिल 2023 हो जाता है पारित तो दिल्ली का मुक्कदर बनेगा यही कानूनः

नई दिल्ली: संसद में विरोध और हंगामे के बीच पेश दिल्ली सर्विस संशोधन बिल 2023 को लेकर अब लोकसभा में चर्चा होगी. लोकसभा से पास होने के बाद उसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा. लोक सभा में इस बिल को पेश करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान ने सदन को संपूर्ण अधिकार दिया है कि वह दिल्ली राज्य के लिए कोई भी कानून ला सकता है. हालांकि, मामला सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है.

जहां एक ओर संसद में दिल्ली को लेकर केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को बिल के रूप में पेश किया जा चुका है, वहीं दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस अध्यादेश को चुनौती दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे संविधान पीठ को भेजा है. इस स्थिति में क्या संसद से पारित होने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सर्विसेस बिल पर रोक लगा सकता है? ये सवाल लोगों के जेहन में उठ रहे हैं.

पारित होने पर दिल्ली का मुक्कदर बनेगा कानूनः

संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा साफ कहते हैं कि दिल्ली सर्विसेज बिल संसद से पारित होने के बाद कानून की शक्ल ले लेगा. वह एक्ट बन जाएगा. इसके बाद यह कानून ही दिल्ली का मुकद्दर हो जाएगा. तब उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती. राजनीतिक कारणों से अगर कोई दल ऐसा करता है तो वह जनता की आंखों में सिर्फ धूल झोंकने का काम करेगा, क्योंकि कानून बनाने का अधिकार संसद को है और संसद में कानून बन गया तो उसे कोई भी अदालत पलट नहीं सकती.

 अगर ऐसा ही होने लगे तो तमाम कानून जो संसद में पास होने के बाद बने हैं, उन सब को कोर्ट में जाकर चुनौती देकर पलटा जा सकता था. लेकिन देश का संविधान बनाते हुए बाबा साहब अंबेडकर ने इन चीजों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है.

संविधान में दिल्ली को लेकर है विशेष प्रावधानः

संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर ने दिल्ली को लेकर के स्पष्ट लिखा है कि केंद्र शासित प्रदेश पर संघ सरकार यानी केंद्र का नियंत्रण होगा और यहां राज्य सरकार को यह बात समझ लेनी चाहिए.

 यह पूछने पर कि केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और पिछले दिनों इस पर सुनवाई करते हुए जिस तरह मुख्य न्यायधीश ने इसे संविधान पीठ को रेफर कर दिया, ऐसे में अगर दिल्ली सेवा बिल कानून बन जाता है तो क्या इसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी? संविधान विशेषज्ञ एस के शर्मा कहते हैं इसका कोई औचित्य ही नहीं होगा. यह संविधान के बुनियादी ढांचे और मूल भावना के विरुद्ध है.

बता दें कि गत 19 मई को केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश की तुलना में जब दिल्ली सेवा बिल को संसद में पेश किया गया तो उसमें कुछ बदलाव किए गए. केंद्र सरकार ने बिल लाने से पहले धारा 3ए और 45डी में अहम बदलाव किए हैं. धारा 3ए अध्यादेश के हिस्से को प्रस्तावित बिल से पूरी तरह हटा दिया गया. अध्यादेश में कहा गया है कि दिल्ली विधानसभा को सेवाओं से जुड़े कानून बनाने का अधिकार नहीं होगा. लेकिन प्रस्तावित बिल में अध्यादेश की एक अन्य धारा 45 डी के तहत प्रावधानों को कमजोर कर दिया गया है. 45 डी बोर्ड, आयोग, प्राधिकरण और अन्य निकायों के लिए की जाने वाली नियुक्तियों से संबंधित है. इसमें नीतियों के विशेष शक्तियां उपराज्यपाल और राष्ट्रपति को प्रदान की गई है.

इसके अलावा नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी की वार्षिक रिपोर्ट को संसद और दिल्ली विधानसभा में पेश करने की अनिवार्यता के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया है. ताकि गोपनीयता बनी रहे. केंद्र सरकार को भेजे जाने वाले प्रस्तावों या मामलों से संबंधित मंत्रियों के आदेशों को उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के समक्ष रखने की अनिवार्यता के प्रावधान को भी बिल में हटा दिया गया है.

दिल्ली में 3 हजार रुपए के लिए युवक की चाकू गोदकर हत्या_

नई दिल्लीःदक्षिणी दिल्ली के तिगड़ी इलाके में चाकू गोदकर हत्या की एक सनसनीखेज वारदात सामने आई है. हत्या का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा रहा है कि आरोपी चाकू से एक शख्स पर ताबड़तोड़ हमला कर रहा है. 

वहीं, आसपास मौजूद लोग इसे रोक भी नहीं रहे. लेकिन बाद में उसे लोग रोकते हैं, लेकिन तब तक उसकी जान चली जाती है. मृतक की पहचान 21 वर्षीय युसूफ अली के तौर पर हुई है.

घटना बुधवार सुबह की है. आरोपी ने युवक पर चाकू से हमला किया. इसके बाद आरोपी से शख्स बचने का प्रयास करता रहा, लेकिन वह उसमें नाकामयाब रहा. युसूफ के पिता ने पुलिस को बताया है कि बेटे के दोस्त शाहरुख ने तीन हजार रुपए के लिए हत्या की है. बेटे ने आरोपी से रुपए उधार लिए थे. लोगों ने उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया, जहां घायल शख्स की अधिक खून बहने के कारण मौत हो गई. 

फिलहाल पूरे मामले की जांच पुलिस कर रही है. हालांकि, घटना के बाद पुलिस पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. दरअसल दावा किया जा रहा है कि यह घटना तिगड़ी थाने के कुछ ही दूरी पर हुई है.

मामले की जांच में जुटी पुलिसःडीसीपी साउथ चंदन चौधरी ने बताया कि बुधवार सुबह तिगड़ी इलाके में चाकूबाजी के संबंध में सूचना मिली थी, जिसमें घायल 21 वर्षीय युसूफ अली को अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. पूरे मामले में हत्या को अंजाम पैसे के लेनदेन को लेकर दिया गया है. वहीं इस पूरे मामले में आरोपी को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दरअसल घटना के दौरान लोगों ने उसकी पिटाई कर दी थी, जिसमें वह घायल हो गया है. फिलहाल पूरे मामले की जांच पुलिस कर रही है.

बता दें बीते मई महीने में दिल्ली के शाहबाद डेयरी इलाके में चाकू घोंपकर हत्या की सनसनीखेज वारदात सामने आई थी, जिसमें पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था. आरोपी ने युवती पर दर्जन भर से अधिक बार चाकू से वार किए गए थे. मामला बाद में प्रेम-प्रसंग का सामने आया था.

"तिगड़ी इलाके से एक युवक को चाकू मारने की सूचना मिली थी. मृतक की पहचान संगम विहार में रहने वाले युसूफ अली (21 साल) के रूप में हुई है. यूसुफ के पिता शाहिद अली ने पुलिस को बताया कि तीन-चार दिन पहले शाहरुख धमकी देकर गया था. यूसुफ ने उससे तीन हजार रुपए लिए थे. शाहरुख ने इसी बात पर बेटे की हत्या कर दी."

दिल्ली एनसीआर: मथुरा गेट थाना क्षेत्र में आम रास्ता की जमीन को लेकर दो पक्षों में जमकर पथराव ..शांतिभंग में 8 गिरफ्तार


भरतपुर। मथुरा गेट थाना इलाके में आम रास्ता की जमीन को लेकर दो पक्षों में जमकर पथराव हो गया. इसके साथ ही फायरिंग होने की भी बात सामने आई है. घटना में कुछ लोग घायल हुए हैं. दोनों पक्षों की ओर से घटना को लेकर पुलिस में एक दूसरे के खिलाफ मामले दर्ज कराए गए हैं.

पुलिस ने मामले में 8 लोगों को शांति भंग में गिरफ्तार किया है.

महिला से छेड़छाड़ का आरोप : मथुरा गेट थाना एसएचओ रामनाथ सिंह ने बताया कि एक पक्ष की ओर से दी गई रिपोर्ट में बताया कि मंगलवार सुबह 6 बजे उसकी कॉलोनी के 18 से 20 लोग एक राय होकर लाठी डंडा लेकर आए और घर के सामने रोड पर बाउंड्री करने लगे. जब उन्होंने बाउंड्री बनाने से रोका तो आरोपियों ने हमला कर दिया.

 साथ ही उसकी पत्नी के साथ भी छेड़छाड़ की और उसके गले से सोने की चेन तोड़ ली. आरोप है कि घर में रखी आलमारी से 2 हजार रुपए भी चोरी कर लिए. इसके बाद सीसीटीवी कैमरों को तोड़ दिया और जान से मारने की धमकी देते हुए वहां से चले गए.

महिला का हाथ तोड़ा :वहीं, दूसरे पक्ष की ओर से दी गई रिपोर्ट में महिला ने बताया कि मंगलवार सुबह 5.30 बजे उसके कॉलोनी के कुछ लोग अपने मकान से उनके घर की तरफ जबरदस्ती रास्ता निकाल रहे थे. आरोप है कि मना करने पर आरोपियों ने हमला किया और हाथ तोड़ दिया. महिला ने भी छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. रिपोर्ट में लिखा है कि इन लोगों ने अदालत में झूठा दावा पेश किया था, जिसमें इन्हें स्टे नहीं मिली. सभी लोग जबरदस्ती दीवार से रास्ता बना रहे थे.

आधा दर्जन बदमाशों ने की फायरिंग :महिला के पति का आरोप है कि जब उसकी पत्नी घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने पुलिस के पास गई थी, तब पीछे से नकाबपोश 6 लोग घर आए और उसपर फायरिंग कर दी. घटना में गाेली पैर में लगी है. परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया है. पुलिस इस मामले में जांच कर रही है.

हरियाणा के नूह में घटी सांप्रदायिक घटना के बाद प्रभावित क्षेत्र पुलिस छावनी में बदला,बुधबार के रात तक इंटरनेट भी बंद,

इंटरनेट बंद होने से बैंकिंग के साथ हीं स्वास्थ्य सेवा भी प्रभावित,

फरीदाबाद। नूंह के नल्हड़ मंदिर में जलाभिषेक के बाद हुए बवाल के बाद से शहर में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है। भड़काऊ पोस्ट और अफवाहों को रोकने के लिए जिला प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं बुधवार रात तक के लिए बंद कर दी हैं, जिसका शहर वासियों पर व्यापक असर देखने को मिला। इंटरनेट बंद होने करीब 30 करोड़ रुपये का ऑनलाइन लेनदेन प्रभावित रहा। ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में दवा वितरण प्रक्रिया भी प्रभावित रही। इसके साथ ही तहसीलों में रजिस्ट्री के काम पर असर पड़ा, जिससे दिनभर लोग परेशान रहे। मंगलवार को पूरा शहर छावनी में तब्दील हो गया।

जिला मजिस्ट्रेट विक्रम सिंह ने जिले में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए तुरंत प्रभाव से धारा 144 लागू करने के आदेश जारी किए। 

उन्होंने कहा कि पड़ोसी जिले नूंह में सोमवार को हुई सांप्रदायिक घटना के बाद शहर में किसी भी तरह की कानून व्यवस्था बिगड़ने के अंदेशे को देखते हुए यह कदम उठाए गए हैं। सोमवार रात को प्रशासन की ओर से इंटरनेट सेवा भी बंद कर दी गई, जिससे लोगों को काफी दिक्कतें हुईं।

जिला लीड बैंक के प्रबंधक हरिओम शर्मा ने बताया कि यूपीआई व अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से रोज लगभग 30 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है। मंगलवार को इंटरनेट नहीं चलने से ऑनलाइन भुगतान में लोगों को काफी परेशानी हुई। ऐसे में छोटी-बड़ी चीजें लोगों को नकद भुगतान कर खरीदनी पड़ी। इसी तरह ईएसआईसी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पताल में पंजीकरण से लेकर दवा वितरण तक सभी कार्य ऑनलाइन माध्यम से होते हैं। इंटरनेट बंद होने से सबसे अधिक परेशानी दवा वितरण केंद्रों पर उठानी पड़ी।

 मरीज की जांच के बाद डॉक्टरों की तरफ से दवा ऑनलाइन कर दी गई लेकिन इसका एसएमएस मरीज के फोन व दवा वितरण केंद्र पर नहीं पहुंचने से दवा लेने में काफी परेशानी उठानी पड़ी। जिले में मंगलवार से तहसीलों में रजिस्ट्री का कार्य भी शुरू कर दिया गया लेकिन इंटरनेट बंद होने से यहां भी लोगों को समस्या से जूझना पड़ा।

पुलिस आयुक्त खुद सड़कों पर उतरे और फ्लैग मार्च निकाला

पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा मंगलवार को खुद सड़कों पर उतरे और फ्लैग मार्च निकाला। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए चार हजार पुलिस कर्मी शहर में तैनात किए गए हैं। पुलिस आयुक्त ने कहा कि पुलिस विभाग किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयार है।

किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा। सार्वजनिक स्थलों पर किसी तरह का जमावड़ा करने वालों से सख्ती से निपटने के आदेश दिए गए हैं। जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर रखी है। उल्लंघन करने वालों को तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए हैं। पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि मंगलवार को टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा ने सभी डीसीपी एसीपी, क्राइम ब्रांच और थाना प्रबंधक चौकी प्रभारियों को आवश्यक निर्देश दिए कहीं पर भी किसी भी तरह की गड़बड़ी करने या धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वालों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। पांच से अधिक व्यक्ति किसी उद्देश्यपूर्ण मंशा से या किसी संगठन, जाति, धर्म ,समुदाय के खिलाफ इकट्ठा होकर कोई मीटिंग नारेबाजी धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते हैं।

 सोशल मीडिया के सभी प्लेटफाॅर्म पर पुलिस की मॉनिटरिंग जारी है। किसी भी तरह की अफवाह फैलाने ,धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने संबंधित भड़काऊ और मैसेज फॉरवर्ड न करें। साइबर थाना पुलिस इस पर निगरानी रख रही है।

पुलिस आयुक्त ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व अपने मोबाइल की बजाय किसी दूसरे मोबाइल से कुछ मैसेज इधर-उधर फॉरवर्ड कर रहे थे। पुलिस ने ऐसे कई असामाजिक तत्वों को धर दबोचा। मंगलवार दोपहर करीब एक बजे पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा सेक्टर 21 स्थित कार्यालय से फ्लैग मार्च निकालते हुए निकले। 

उनके साथ सभी डीसीपी, एसीपी व पुलिस की टीमें थीं। फ्लैग मार्च अनकीर चौकी से होते हुए बढ़खल गांव, सैनिक कॉलोनी मोड़, भाखरी गांव होते हुए पाली गांव से धौज, समयपुर, गौंछी के बाद सेक्टर 58 होते हुए मथुरा रोड पहुंचकर बल्लभगढ़ मेट्रो रेलवे स्टेशन, सेक्टर 3, सेक्टर 7 से सेक्टर 12 होता हुआ वापस पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंचा।

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शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी एसीपी 24 घंटे ड्यूटी पर रहकर पेट्रोलिंग करते रहेंगे। इसके लिए 8- 8 घंटे की शिफ्ट लगाई गई है। क्राइम ब्रांच की टीम संदिग्ध लोगों की निगरानी रख रही है। थाना चौकी की पुलिस ज्यादा से ज्यादा फोर्स के साथ अपने अपने एरिया में अलर्ट है। जिला प्रशासन ने सभी इलाकों के लिए ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि असामाजिक तत्वों के बहकावे में न आकर शांति बनाए रखें।

दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लिव-इन पार्टनरों की हत्या का सिलसिला जारी, 38 वर्षीय महिला की उसके पार्टनर ने कर दी हत्या


पूर्वी दिल्ली,  दिल्ली में एक बार फिर एक लिव इन में रह रही महिला को उसके ब्वॉयफ्रेंड ने मौत के घाट उतारा है। यह घटना पूर्वी दिल्ली के गीता कॉलोनी इलाके में घटी है। मृतका की पहचान पूजा (38) के रूप में हुई है।

आरोप है लिव इन पार्टनर ने भारी वस्तु से सिर पर वार कर हत्या को अंजाम दिया है। इस वारदात के बाद से ही पार्टनर फरार है। पुलिस आरोपित की सही पहचान पता करने का प्रयास कर रही है।

दिल्ली: एम्स में बिजली की किल्लत दूर करने के लिए, लगाया गया सोलर प्लांट

नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने बिजली आपूर्ति को सुचारू रखने के लिए सोलर एनर्जी प्लांट की शुरुआत की है। मंगलवार को एम्स परिसर में नौ किलोवाट का प्लांट लगाया गया। इसे निजी भागीदारी की मदद से लगाया गया है।

इससे हर वर्ष 13140 यूनिट बिजली का उत्पादन किया जा सकेगा। आपातकालीन स्थतियों से निपटने में यह प्रयास कारगर साबित होगा। एम्स के निदेशक के आवास की छत पर इस प्लांट को स्थापित किया गया है। इस मौके पर एम्स और इंडियन रिनेवेबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (आइआरईडीए) के बीच एक समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षर हुए।

प्लांट का उद्घाटन एम्स निदेशक डॉ. एम श्रीनिवास व भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड के चेयरमैन पीके दास ने किया। जैक्सन ग्रुप के सहयोग से इसकी स्थापना की गई है।

पर्यावरण से जुड़े हमारे उद्देश्यों को हासिल करने की दिशा में छत पर लगाया गया सोलर प्लांट एक महत्वपूर्ण कदम है। हम न केवल अपने परिचालन को बेहतर बनाने में, बल्कि बड़े पैमाने पर पर्यावरण के हित में योगदान देने के लिए भी ग्रीन एनर्जी की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचान रहे हैं। इसकी शुरुआत से संस्थान को काफी लाभ होगा।

-एम श्रीनिवास, एम्स निदेशक

गौरतलब है कि बीते दिनों बिजली कट जाने के कारण एम्स में सर्जरी पर प्रभाव पड़ा था। ओपीडी में मरीजों को परेशान होना पड़ा था। रेडिएशन थेरेपी तक बंद करनी पड़ गई थी।

इसलिए ग्रीन एनर्जी को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। आने वाले दिनों में और भी सोलर प्लांट लगाए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इस मौके पर आइआरईडीए के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक पीके दास मुख्य तौर पर मौजूद रहे।

दिल्ली: आज दिल्ली में किये जायेंगे ड्रोन से मच्छर मारने की दवा का छिड़काव,बाढ़ के बाद बढ़ रहे बीमारियों को लेकर उठाया गया यह कदम


नई दिल्ली: बाढ़ के बाद बदली स्थिति में मच्छरजनित बीमारियों के मरीजों की संख्या ज्यादा सामने आ रही है। वहीं, निगम के कर्मचारी ऐसे स्थानों पर अब भी नहीं जा पा रहे हैं।

इसको देखते हुए दिल्ली नगर निगम बुधवार से मच्छररोधी दवा का छिड़काव के लिए ड्रोन से अभियान चलाने जा रहा है। महापौर डा. शैली ओबेराय पूर्वी दिल्ली में यमुना किनारे इलाको में ड्रोन से मच्छररोधी दवा का छिड़काव के अभियान की शुरुआत करेगी।

यह पहली बार होगा कि ड्रोन का उपयोग डेंगू-मलेरिया की दवाओं की छिड़काव के लिए किया जा रहा हो। कोरोना में सैनिटाइज करने के लिए मध्य दिल्ली के कुछ इलाकों में इसका ट्रायल हुआ था।

महापौर डॉ. शैली ओबेराय ने बताया कि हमने उस्मानपुर में मच्छररोधी दवाओं का छिड़काव के लिए ट्रायल किया था। यह ट्रायल सफल रहा है। इसको देखते हुए हमने इस अभियान को शुरू करने का निर्णय लिया है।

एक बार में किया जा सकेगा 30 लीटर दवा का छिड़काव

उन्होंने बताया कि ट्रायल में 30 लीटर मच्छर रोधी दवा का छिड़काव एक बार में किया जा सकेगा। ड्रोन का इस्तेमाल ऐसे स्थानों के लिए किया जाएगा जहां पर निगम के कर्मचारी नहीं पहुंच सकते हैं। इसमें झील, तालाब और निर्माण स्थलों पर मच्छररोधी दवाओं का छिड़काव किया जाएगा। ऐसी जगह पर ड्रोन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा जहां पर आबादी रहती है।

महापौर ने हड़ताल कर रहे डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स (डीबीसी) से अपील की है कि यह मुश्किल समय है। ऐसे में उन्हें चाहिए कि वह हड़ताल न करें दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम कर्मचारियों के हित में काम कर रही है।

डीबीसी कर्मचारियों का मुद्दा बहुत पुराना मुद्दा है जिसके समाधान के लिए हम लगे हुए हैं। डीबीसी की हड़ताल को लेकर नेता प्रतिपक्ष राजा इकबाल सिंह ने कहा कि डीबीसी कर्मचारियों के पदनाम को ठीक करने के लिए 2019 में भाजपा शासित निगम ने प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजा था लेकिन सरकार ने अभी तक उसे मंजूरी नहीं दी।

अगर, दिल्ली सरकार मंजूरी दे दें तो डीबीसी कर्मचारी चंट मिनटों में पक्के हो सकते हैं और उनकी समस्या का समाधान हो सकता है वहीं, डीबीसी ने निगम मुख्यालय के बाद दूसरे दिन भी हड़ताल की और धरना प्रदर्शन किया।

दिल्ली मे डेंगू के 243 मरीजों की हो चुकी है अब तक पुष्टि

एंटी मलेरिया एकता कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष देवानंद शर्मा ने बताया कि महापौर के साथ बैठक हुई थी लेकिन वह बेनतीजा रही। महापौर समाधान निकालने का आश्वासन दे रही थी, लेकिन हमारा आश्वासन से काम नहीं चलेगा।

 इस बार हम अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जब तक रहेंगे तब तक की लिखित आदेश नहीं मिल जाता। उल्लेखनीय है कि राजधानी में डेंगू के 243 मरीजों की अब तक पुष्टि हो चुकी है। जो कि बीते वर्षों कई वर्षों की तुलना में सर्वाधिक हैं।