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अमेरिका में एक्सीडेंट के बाद कोमा में भारतीय छात्रा, परिवार को नहीं मिल रहा वीजा

#indian_student_from_maharashtra_battling_for_life_in_us_hospital

महाराष्ट्र के सतारा जिले की रहने वाली 35 वर्षीय नीलम शिंदे अमेरिका में जिदंगी और मौत के बीच जूझ रही है। अमेरिका में 14 फरवरी को एक रोड एक्सीडेंट के बाद नीलम शिंदे कोमा में है। नीलम के मस्तिक का ऑपरेशन होना है। मगर नीलम के परिवार को अमेरिका का वीजा नहीं मिल पा रहा है। दरअसल, अमेरिका में बिना रक्त संबंधियों की अनुमति के बगैर ऑपरेशन नहीं होता है। महाराष्ट्र में रहने वाले उसके पिता अमेरिका जाने के लिए अर्जेंट वीजा चाहते हैं और केंद्र सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं।

नीलम तानाजी शिंदे वर्तमान में कैलिफोर्निया के अस्पताल में कोमा की हालत में भर्ती हैं। नीलम शिंदे के पिता तानाजी शिंदे ने कहा कि हमें 16 फरवरी को दुर्घटना के बारे में पता चला और तब से हम वीजा के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन हमें अभी तक वीजा नहीं मिला है। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने शिंदे को वीजा दिलाने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर से मदद मांगी है। उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंताजनक मामला है और हम सभी को एकजुट होकर इसे सुलझाने में मदद करनी चाहिए।

नीलम के परिवार के अनुसार, 14 फरवरी को वह शाम की सैर पर निकली थी, जब हादसे का शिकार हो गई। परिवार ने बताया कि यह हिट-एंड-रन मामला था। एक कार ने उन्हें पीछे से टक्कर मारी, जिससे उनके दोनों हाथ, पैर, सिर और छाती में गंभीर चोटें आईं हैं। दुर्घटना के बाद भारतीय छात्रा को कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में सी डेविस मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां उनका आईसीयू में इलाज चल रहा है।

नीलम शिंदे उच्च शिक्षा हासिल करने अमेरिका गई थी। वे वहां कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष की छात्रा थीं। नीलम शिंदे पिछले चार साल से अमेरिका में रह रही हैं। वे मास्टर ऑफ साइंस के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं। एक साल पहले ही ब्रेन ट्यूमर से नीलम की मां का निधन हो चुका है।

"Today Mohun Bagan Super Giant fans are the happiest around the world,” says head coach Jose Molina after ecstatic ISL League Shield*

Sports News 

 Khabar Kolkata Sports Desk: Mohun Bagan Super Giant have etched their name in the Indian Super League (ISL) history books, becoming the first-ever team to successfully defend their League Winners’ Shield. The Mariners, under the astute leadership of head coach Jose Molina, have amassed 52 points with two games still to play, asserting their dominance in the 2024-25 season. Their remarkable campaign has been marked by several record-breaking feats – the first team to surpass 50 points in a single ISL season, the most wins (16) in a campaign, and a defensive masterclass that has seen them register 14 clean sheets, a new league benchmark.

 Pic Courtesy by: ISL

*Mohun Bagan Super Giant defend ISL Shield after a late winner against Odisha FC*

Sports News

Khabar Kolkata sports Desk: Mohun Bagan Super Giant became the Indian Super League (ISL) 2024-25 League Winners after their 1-0 victory against Odisha FC at the Vivekananda Yuba Bharati Krirangan Stadium, Kolkata yesterday. The Mariners successfully defended their title, first-ever team in ISL to do so, as they moved to 52 points after this triumph, gaining an unassailable lead over the second-placed FC Goa, who have bagged 42 points with three games to spare. The Jose Molina-coached team sealed this victory on the back of 16 victories and four draws, while recording their sixth consecutive clean sheet – the most ever done by a team in the competition.

Pic : Sanjay Hazra

भारत के चुनावों में अमेरिका ने दी दखल? मस्क ने रोकी फंडिंग, आरोप-प्रत्यारो शुरू

#muskstopsusfundingforindianelections

देश में वोटिंग बढ़ाने के लिए अमेरिका से फंडिंग के मुद्दे पर विवाद पैदा हो गया। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क ने भारत के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग रद्द कर दी है। मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) ने शनिवार को ये फैसला लिया।

एलन मस्क के नेतृत्व वाला सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) लगातार यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) यानी यूएसएड की पोल खोलने में जुटा है। सरकारी खर्च में कटौती में जुटे ट्रंप प्रशासन के निशाने पर यूएसएड है। दक्षता विभाग ने हाल ही में भारत समेत दुनियाभर के कई देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है।

डीओजीई ने एक लिस्ट जारी की है। इसमें डिपार्टमेंट की तरफ से 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रद्द की गई है। इसमें एक प्रोग्राम दुनियाभर में चुनाव प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए भी है, जिसका फंड 4200 करोड़ रुपए है। इस फंड में भारत की हिस्सेदारी 182 करोड़ रुपए की है। दरअसल, अमेरिका भारतीय के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की खातिर फंडिंग कर रहा था। अब सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका यह धन किसे देता था?

बीजेपी ने चुनाव में फंडिंग पर सवाल उठाए

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया है कि इस फंड का इस्तेमाल भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी और अमेरिकी बिजनेसमेन जॉर्ज सोरोस पर भारत में चुनाव प्रक्रिया में दखल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा- 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए? यह साफ तौर पर देश की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल है। इस फंड से किसे फायदा होगा। जाहिर है इससे सत्ताधारी (बीजेपी) पार्टी को तो फायदा नहीं होगा। एक दूसरे पोस्ट में अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी और जॉर्ज सोरोस पर भारतीय चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। मालवीय ने सोरोस को गांधी परिवार का जाना-माना सहयोगी बताया।

मालवीय ने एक्स पर लिखा कि 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक एमओयू साइन किया था। ये संस्था जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है। इसे मुख्य तौर पर यूएसएआईडी से आर्थिक मदद मिलती है।

कुरैशी फंडिंग किए जाने के आरोप को बताया निराधार

इधर, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके एसवाई कुरैशी ने कहा है कि उनके समय देश में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी एजेंसी की तरफ से फंडिंग किए जाने के आरोप पूरी तरह निराधार है। कुरैशी ने कहा कि, देश के एक मीडिया तबके में जो ये बात कही जा रही है कि जब मैं देश का मुख्य चुनाव आयुक्त था, तब 2012 में भारतीय चुनाव आयोग और अमेरिकी एजेंसी के बीच वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए किसी तरह का कोई फंडिंग से संबंधित करार हुआ, इस बारे में तनिक भी सच्चाई नहीं है। कुरैशी ने कहा कि वास्तव में 2012 में जब मैं सीईसी था, तब इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक समझौता हुआ था। इसका मकसद दूसरे देशों की चुनावी एजेंसियों और प्रबंधन निकायों को प्रशिक्षण देना था। इस समझौते में किसी भी तरह की फंडिंग का कोई वादा शामिल नहीं था। राशि तो भूल ही जाइए।

बता दें कि एस वाई कुरैशी 30 जुलाई, 2010 से 10 जून, 2012 तक भारतीय चुनाव आयोग के मुखिया रहे थे।

*Sports*

 East Bengal FC defeated Mohammedan SC by 3-1 at the Vivekananda Yuba Bharati Krirangan Stadium in the Indian Super League (ISL) yesterday night.

 Pic: Sanjay Hazra

अमेरिका से 119 प्रवासी भारतीयों को लेकर आ रहा एक और विमान, क्या फिर बेड़ियों-हथकड़ियों में होगी वापसी?

#secondsetof119indianmigrantsdeporteesfromustolandinamritsar_today

अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का सिलसिला जारी है। डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के तहत एक और अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर-III 16 फरवरी को अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा। इसमें करीब 119 भारतीय नागरिक होंगे, जो अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे।यह डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यहां से निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का दूसरा जत्था होगा। इससे पहले महीने की शुरुआत में 104 अवैध अप्रवासियों का एक बैच अमृतसर पहुंचा था। दूसरे जत्थे के निर्वासित लोगों में पंजाब से 67, हरियाणा से 33, गुजरात से आठ, उत्तर प्रदेश से तीन, राजस्थान-महाराष्ट्र से दो-दो और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।

पीएम मोदी ने कहा-अवैध अप्रवासी को भारत स्वीकार करेगा

पीएम मोदी की दो दिवसीय यूएस यात्रा कल यानी शुक्रवार को ही संपन्न हुई है। एक ओर जहां पीएम मोदी अमेरिका से वापस भारत लौटने की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासी भारतीयों की दूसरी खेप को डिपोर्ट करने की तैयारी में लगा था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने यूएस दौरे के दौरान ट्रंप के सामने साफ किया कि अमेरिका में रहने वाले अवैध अप्रवासी नागरिकों को भारत स्वीकार करेगा। यह केवल भारत का मुद्दा नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है। जो लोग अवैध तरीके से दूसरे देशों में रह रहे हैं, उन्हें वहां रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। हम अवैध अप्रवासी भारतीयों को वापस लेने के लिए तैयार हैं।

क्या दिखेगा पीएम मोदी के दौरे का असर?

डिपोर्टेशन पर संसद में मचे हल्ले के बाद भारत सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों से इस मामले में बात की है। पीएम मोदी के यूएस दौरे पर भी इस मुद्दे को उठाया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है? उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी की ट्रंप से मुलाकात का असर इस डिपोर्टेशन पर दिख सकता है। यानी अवैध प्रवासी भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां नहीं लगनी चाहिए।

10 दिन पहले आया था पहला जत्था

अमेरिका से ऐसे अवैध प्रवासी भारतीयों का पहला जत्था 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचा था। तब 104 लोगों को अमेरिकी सैन्य विमान में हथकड़ी और बेड़ियों से जकड़कर लाया गया था। इस पर सड़कों से लेकर संसद तक हंगामा भी मचा था। भारतीयों के प्रति इस तरह के अमानवीय व्यवहार की निंदा हुई थी। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की कूटनीति तक पर सवाल खड़े किए थे। विपक्षी दलों का कहना था कि अवैध प्रवासियों का डिपोर्टेशन पहले भी होता आया है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इन्हें सैन्य विमान में अमानवीय परिस्थितियों में भेजा जाए। विपक्षी नेताओं की मांग थी कि मोदी सरकार को इस मामले में अमेरिका से बात करनी चाहिए।

From Rugged Roads to India’s World-Class Expressways: Rajveer Singh’s Mega Road Trip Begins April 13, 2025

India’s Luxury Drive: Rajveer Singh’s Mega Road Expedition to Showcase India’s Highways, Culture, and Luxury Travel – Kicking Off on April 13, 2025.

Starting on April 13, 2025, Rajveer will embark on a spectacular 35-day journey covering the legendary Golden Quadrilateral and beyond. This ambitious campaign is already drawing national attention, with Rajveer’s team in discussions with key government bodies, including the Ministry of Tourism, the Ministry of Culture, and the Ministry of Road Transport and Highways, to support and amplify this initiative. Joining him on this drive are Vibha Narshana, CEO of Party and Travels, and Roshan Kamble, a talented cinematographer who will capture the essence of this groundbreaking expedition.

India’s highways have undergone a remarkable transformation, evolving from rugged roads into world-class expressways that now connect the entire nation with speed, safety, and efficiency. These roads are more than just infrastructure; they are the backbone of progress, fueling economic growth, tourism, and cultural exchange. To celebrate this monumental development and position India as a top-tier road-trip destination, Rajveer Singh an award-winning digital creator with 1.7 million followers, is launching India’s Luxury Drive—a grand digital campaign that will showcase the country’s highways, rich heritage, and luxury travel experiences like never before.

India’s Luxury Drive is more than just a road trip; it is a storytelling revolution that will redefine the way the world sees India’s highways and travel potential. With 175+ premium videos, 1000+ Instagram stories, and 50+ YouTube long videos, this drive is set to generate over 100 million digital impressions, making it one of the most high-impact travel campaigns ever.

Rajveer’s journey will highlight not just the speed and convenience of modern Indian highways but also the immersive cultural experiences that lie along these routes. With a portfolio that includes collaborations with top brands like Samsung, Canon, DJI, Thar, Nvidia, and Sahara Star, he will blend luxury, adventure, and heritage into an unforgettable digital experience.

For brands, tourism boards, and industry leaders, India’s Luxury Drive presents a golden opportunity to align with a campaign that will leave a lasting imprint on India's travel and digital landscape. The road to history is being paved—who’s ready to ride along? Instagram handle

Sports

in the Indian Super League (ISL),Chennaiyin FC defeated East Bengal FC by 3-0 at the Vivekananda Yuba Bharati Krirangan Stadium, Kolkata.

Pic :Sanjay Hazra (Khabar kolkata).

ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

भारतीयों के खिलाफ ट्रंप का एक्शन शुरू, अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लेकर सेना का पहला विमान भारत रवाना

#americastartsdeportingindianmigrants

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। तक अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देशों के अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा था, लेकिन अब भारत के अवैध अप्रवासियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी के तहत अमेरिका से सोमवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि सी-17 सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हुआ है।

सेना की मदद से निर्वासन अभियान

अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ली है, जिसके तहत ही सैन्य एयरक्राफ्ट की मदद से लोगों को डिपोर्ट करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसी के बाद अब अमेरिका में बसे भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट करने के लिए अमेरिका से C-17 विमान रवाना हो गया है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अमेरिका का एक सैन्य विमान C-17 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए रवाना हो गया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विमान अगले 24 घंटे तक भारत नहीं पहुंचेगा।

अलग-अलग जगहों के लिए डिपोर्ट किए जा रहे अप्रवासी

इसी के साथ पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए फ्लाइट देना भी शुरू कर दिया है। अब तक, सैन्य विमान प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास ले गए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगा, कैलिफोर्निया से पांच हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को लेकर जल्द ही सेना के विमान उड़ान भरेंगे।

लगभग 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान का दावा

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया जाएगा। ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी-अपनी बातचीत के दौरान अमेरिका में बसे अवैध भारतीयों को लेकर पहले ही चिंता जताई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने इमिग्रेशन को लेकर पीएम से बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि जब अवैध अप्रवासियों को वापस लेने की बात आएगी तो भारत वही करेगा जो सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने लगभग 18,000 भारतीय अप्रवासियों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में हैं।

करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सेना ने लैटिन अमेरिकी देशों में अवैध अप्रवासियों को लेकर छह उड़ानें भरी हैं। हालांकि कोलंबिया ने अमेरिका के विमानों को अपने देश में उतरने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ट्रंप के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने अपने नागरिकों को लाने के लिए अपने ही विमान भेजे थे।

अमेरिका में एक्सीडेंट के बाद कोमा में भारतीय छात्रा, परिवार को नहीं मिल रहा वीजा

#indian_student_from_maharashtra_battling_for_life_in_us_hospital

महाराष्ट्र के सतारा जिले की रहने वाली 35 वर्षीय नीलम शिंदे अमेरिका में जिदंगी और मौत के बीच जूझ रही है। अमेरिका में 14 फरवरी को एक रोड एक्सीडेंट के बाद नीलम शिंदे कोमा में है। नीलम के मस्तिक का ऑपरेशन होना है। मगर नीलम के परिवार को अमेरिका का वीजा नहीं मिल पा रहा है। दरअसल, अमेरिका में बिना रक्त संबंधियों की अनुमति के बगैर ऑपरेशन नहीं होता है। महाराष्ट्र में रहने वाले उसके पिता अमेरिका जाने के लिए अर्जेंट वीजा चाहते हैं और केंद्र सरकार से मदद की मांग कर रहे हैं।

नीलम तानाजी शिंदे वर्तमान में कैलिफोर्निया के अस्पताल में कोमा की हालत में भर्ती हैं। नीलम शिंदे के पिता तानाजी शिंदे ने कहा कि हमें 16 फरवरी को दुर्घटना के बारे में पता चला और तब से हम वीजा के लिए प्रयास कर रहे हैं। लेकिन हमें अभी तक वीजा नहीं मिला है। एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने शिंदे को वीजा दिलाने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर से मदद मांगी है। उन्होंने कहा कि यह बहुत चिंताजनक मामला है और हम सभी को एकजुट होकर इसे सुलझाने में मदद करनी चाहिए।

नीलम के परिवार के अनुसार, 14 फरवरी को वह शाम की सैर पर निकली थी, जब हादसे का शिकार हो गई। परिवार ने बताया कि यह हिट-एंड-रन मामला था। एक कार ने उन्हें पीछे से टक्कर मारी, जिससे उनके दोनों हाथ, पैर, सिर और छाती में गंभीर चोटें आईं हैं। दुर्घटना के बाद भारतीय छात्रा को कैलिफोर्निया के सैक्रामेंटो में सी डेविस मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां उनका आईसीयू में इलाज चल रहा है।

नीलम शिंदे उच्च शिक्षा हासिल करने अमेरिका गई थी। वे वहां कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी में चौथे वर्ष की छात्रा थीं। नीलम शिंदे पिछले चार साल से अमेरिका में रह रही हैं। वे मास्टर ऑफ साइंस के अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थीं। एक साल पहले ही ब्रेन ट्यूमर से नीलम की मां का निधन हो चुका है।

"Today Mohun Bagan Super Giant fans are the happiest around the world,” says head coach Jose Molina after ecstatic ISL League Shield*

Sports News 

 Khabar Kolkata Sports Desk: Mohun Bagan Super Giant have etched their name in the Indian Super League (ISL) history books, becoming the first-ever team to successfully defend their League Winners’ Shield. The Mariners, under the astute leadership of head coach Jose Molina, have amassed 52 points with two games still to play, asserting their dominance in the 2024-25 season. Their remarkable campaign has been marked by several record-breaking feats – the first team to surpass 50 points in a single ISL season, the most wins (16) in a campaign, and a defensive masterclass that has seen them register 14 clean sheets, a new league benchmark.

 Pic Courtesy by: ISL

*Mohun Bagan Super Giant defend ISL Shield after a late winner against Odisha FC*

Sports News

Khabar Kolkata sports Desk: Mohun Bagan Super Giant became the Indian Super League (ISL) 2024-25 League Winners after their 1-0 victory against Odisha FC at the Vivekananda Yuba Bharati Krirangan Stadium, Kolkata yesterday. The Mariners successfully defended their title, first-ever team in ISL to do so, as they moved to 52 points after this triumph, gaining an unassailable lead over the second-placed FC Goa, who have bagged 42 points with three games to spare. The Jose Molina-coached team sealed this victory on the back of 16 victories and four draws, while recording their sixth consecutive clean sheet – the most ever done by a team in the competition.

Pic : Sanjay Hazra

भारत के चुनावों में अमेरिका ने दी दखल? मस्क ने रोकी फंडिंग, आरोप-प्रत्यारो शुरू

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देश में वोटिंग बढ़ाने के लिए अमेरिका से फंडिंग के मुद्दे पर विवाद पैदा हो गया। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सहयोगी इलॉन मस्क ने भारत के चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दी जाने वाली 182 करोड़ रुपए की फंडिंग रद्द कर दी है। मस्क के नेतृत्व वाले डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (डीओजीई) ने शनिवार को ये फैसला लिया।

एलन मस्क के नेतृत्व वाला सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) लगातार यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) यानी यूएसएड की पोल खोलने में जुटा है। सरकारी खर्च में कटौती में जुटे ट्रंप प्रशासन के निशाने पर यूएसएड है। दक्षता विभाग ने हाल ही में भारत समेत दुनियाभर के कई देशों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक दी है।

डीओजीई ने एक लिस्ट जारी की है। इसमें डिपार्टमेंट की तरफ से 15 तरह के प्रोग्राम्स की फंडिंग रद्द की गई है। इसमें एक प्रोग्राम दुनियाभर में चुनाव प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए भी है, जिसका फंड 4200 करोड़ रुपए है। इस फंड में भारत की हिस्सेदारी 182 करोड़ रुपए की है। दरअसल, अमेरिका भारतीय के चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने की खातिर फंडिंग कर रहा था। अब सवाल यह उठ रहा है कि अमेरिका यह धन किसे देता था?

बीजेपी ने चुनाव में फंडिंग पर सवाल उठाए

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया है कि इस फंड का इस्तेमाल भारतीय चुनाव को प्रभावित करने के लिए किया गया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी और अमेरिकी बिजनेसमेन जॉर्ज सोरोस पर भारत में चुनाव प्रक्रिया में दखल देने का आरोप लगाया है। उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा- 21 मिलियन डॉलर (182 करोड़ रुपए) वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए? यह साफ तौर पर देश की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी दखल है। इस फंड से किसे फायदा होगा। जाहिर है इससे सत्ताधारी (बीजेपी) पार्टी को तो फायदा नहीं होगा। एक दूसरे पोस्ट में अमित मालवीय ने कांग्रेस पार्टी और जॉर्ज सोरोस पर भारतीय चुनाव में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। मालवीय ने सोरोस को गांधी परिवार का जाना-माना सहयोगी बताया।

मालवीय ने एक्स पर लिखा कि 2012 में एसवाई कुरैशी के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक एमओयू साइन किया था। ये संस्था जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जुड़ा है। इसे मुख्य तौर पर यूएसएआईडी से आर्थिक मदद मिलती है।

कुरैशी फंडिंग किए जाने के आरोप को बताया निराधार

इधर, भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके एसवाई कुरैशी ने कहा है कि उनके समय देश में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए अमेरिकी एजेंसी की तरफ से फंडिंग किए जाने के आरोप पूरी तरह निराधार है। कुरैशी ने कहा कि, देश के एक मीडिया तबके में जो ये बात कही जा रही है कि जब मैं देश का मुख्य चुनाव आयुक्त था, तब 2012 में भारतीय चुनाव आयोग और अमेरिकी एजेंसी के बीच वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए किसी तरह का कोई फंडिंग से संबंधित करार हुआ, इस बारे में तनिक भी सच्चाई नहीं है। कुरैशी ने कहा कि वास्तव में 2012 में जब मैं सीईसी था, तब इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (आईएफईएस) के साथ एक समझौता हुआ था। इसका मकसद दूसरे देशों की चुनावी एजेंसियों और प्रबंधन निकायों को प्रशिक्षण देना था। इस समझौते में किसी भी तरह की फंडिंग का कोई वादा शामिल नहीं था। राशि तो भूल ही जाइए।

बता दें कि एस वाई कुरैशी 30 जुलाई, 2010 से 10 जून, 2012 तक भारतीय चुनाव आयोग के मुखिया रहे थे।

*Sports*

 East Bengal FC defeated Mohammedan SC by 3-1 at the Vivekananda Yuba Bharati Krirangan Stadium in the Indian Super League (ISL) yesterday night.

 Pic: Sanjay Hazra

अमेरिका से 119 प्रवासी भारतीयों को लेकर आ रहा एक और विमान, क्या फिर बेड़ियों-हथकड़ियों में होगी वापसी?

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अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का सिलसिला जारी है। डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के तहत एक और अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर-III 16 फरवरी को अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा। इसमें करीब 119 भारतीय नागरिक होंगे, जो अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे।यह डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यहां से निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का दूसरा जत्था होगा। इससे पहले महीने की शुरुआत में 104 अवैध अप्रवासियों का एक बैच अमृतसर पहुंचा था। दूसरे जत्थे के निर्वासित लोगों में पंजाब से 67, हरियाणा से 33, गुजरात से आठ, उत्तर प्रदेश से तीन, राजस्थान-महाराष्ट्र से दो-दो और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।

पीएम मोदी ने कहा-अवैध अप्रवासी को भारत स्वीकार करेगा

पीएम मोदी की दो दिवसीय यूएस यात्रा कल यानी शुक्रवार को ही संपन्न हुई है। एक ओर जहां पीएम मोदी अमेरिका से वापस भारत लौटने की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासी भारतीयों की दूसरी खेप को डिपोर्ट करने की तैयारी में लगा था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने यूएस दौरे के दौरान ट्रंप के सामने साफ किया कि अमेरिका में रहने वाले अवैध अप्रवासी नागरिकों को भारत स्वीकार करेगा। यह केवल भारत का मुद्दा नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है। जो लोग अवैध तरीके से दूसरे देशों में रह रहे हैं, उन्हें वहां रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। हम अवैध अप्रवासी भारतीयों को वापस लेने के लिए तैयार हैं।

क्या दिखेगा पीएम मोदी के दौरे का असर?

डिपोर्टेशन पर संसद में मचे हल्ले के बाद भारत सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों से इस मामले में बात की है। पीएम मोदी के यूएस दौरे पर भी इस मुद्दे को उठाया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है? उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी की ट्रंप से मुलाकात का असर इस डिपोर्टेशन पर दिख सकता है। यानी अवैध प्रवासी भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां नहीं लगनी चाहिए।

10 दिन पहले आया था पहला जत्था

अमेरिका से ऐसे अवैध प्रवासी भारतीयों का पहला जत्था 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचा था। तब 104 लोगों को अमेरिकी सैन्य विमान में हथकड़ी और बेड़ियों से जकड़कर लाया गया था। इस पर सड़कों से लेकर संसद तक हंगामा भी मचा था। भारतीयों के प्रति इस तरह के अमानवीय व्यवहार की निंदा हुई थी। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की कूटनीति तक पर सवाल खड़े किए थे। विपक्षी दलों का कहना था कि अवैध प्रवासियों का डिपोर्टेशन पहले भी होता आया है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इन्हें सैन्य विमान में अमानवीय परिस्थितियों में भेजा जाए। विपक्षी नेताओं की मांग थी कि मोदी सरकार को इस मामले में अमेरिका से बात करनी चाहिए।

From Rugged Roads to India’s World-Class Expressways: Rajveer Singh’s Mega Road Trip Begins April 13, 2025

India’s Luxury Drive: Rajveer Singh’s Mega Road Expedition to Showcase India’s Highways, Culture, and Luxury Travel – Kicking Off on April 13, 2025.

Starting on April 13, 2025, Rajveer will embark on a spectacular 35-day journey covering the legendary Golden Quadrilateral and beyond. This ambitious campaign is already drawing national attention, with Rajveer’s team in discussions with key government bodies, including the Ministry of Tourism, the Ministry of Culture, and the Ministry of Road Transport and Highways, to support and amplify this initiative. Joining him on this drive are Vibha Narshana, CEO of Party and Travels, and Roshan Kamble, a talented cinematographer who will capture the essence of this groundbreaking expedition.

India’s highways have undergone a remarkable transformation, evolving from rugged roads into world-class expressways that now connect the entire nation with speed, safety, and efficiency. These roads are more than just infrastructure; they are the backbone of progress, fueling economic growth, tourism, and cultural exchange. To celebrate this monumental development and position India as a top-tier road-trip destination, Rajveer Singh an award-winning digital creator with 1.7 million followers, is launching India’s Luxury Drive—a grand digital campaign that will showcase the country’s highways, rich heritage, and luxury travel experiences like never before.

India’s Luxury Drive is more than just a road trip; it is a storytelling revolution that will redefine the way the world sees India’s highways and travel potential. With 175+ premium videos, 1000+ Instagram stories, and 50+ YouTube long videos, this drive is set to generate over 100 million digital impressions, making it one of the most high-impact travel campaigns ever.

Rajveer’s journey will highlight not just the speed and convenience of modern Indian highways but also the immersive cultural experiences that lie along these routes. With a portfolio that includes collaborations with top brands like Samsung, Canon, DJI, Thar, Nvidia, and Sahara Star, he will blend luxury, adventure, and heritage into an unforgettable digital experience.

For brands, tourism boards, and industry leaders, India’s Luxury Drive presents a golden opportunity to align with a campaign that will leave a lasting imprint on India's travel and digital landscape. The road to history is being paved—who’s ready to ride along? Instagram handle

Sports

in the Indian Super League (ISL),Chennaiyin FC defeated East Bengal FC by 3-0 at the Vivekananda Yuba Bharati Krirangan Stadium, Kolkata.

Pic :Sanjay Hazra (Khabar kolkata).

ट्रंप ने बढ़ाई भारत की मुश्किलें, चाबहार में निवेश पर प्रतिबंध के बाद भारतीय कंपनी पर लगाया बैन

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने को लेकर फिर से अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में भी इस देश पर दबाव बनाने के लिए तमाम प्रतिबंध लगाए थे। ट्रंप ने मंगलवार रात एक आदेश पर हस्ताक्षर किए। आदेश के तहत ईरान के तेल निर्यात को रोकने और ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को फिर से लागू करने का आह्वान किया गया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह उन प्रतिबंधों को लागू नहीं करना चाहते और ईरान के साथ एक समझौते पर पहुंचना चाहते हैं। इसी क्रम में अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट पर भारत को दी गई छूट को जहां खत्‍म करने का फैसला किया है, वहीं अब भारत की कंपनी मार्शल शिप मैनेजमेंट कंपनी और एक नागरिक पर भी बैन लगा दिया है।

ट्रंप ने क्यों उठाया ये कदम?

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने भारतीय कंपनी पर आरोप लगाया है कि वह ईरान को चीन को तेल बेचने में मदद कर रही है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग ने गुरुवार को इन नए प्रतिबंधों का ऐलान किया है। इसमें एक पूरे अंतरराष्‍ट्रीय नेटवर्क को निशाना बनाया गया है। बयान में अमेरिका ने कहा कि यह तेल ईरान की सेना की कंपनी की ओर से भेजे जा रहे थे और इस पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इस प्रतिबंध के दायरे में चीन, भारत और यूएई की कई कंपनियां और जहाज शामिल हैं। इस अमेरिकी बयान में कहा गया है कि ईरान हर साल तेल बेचकर अरबों डॉलर कमा रहा है और इससे पूरे इलाके में अस्थिरता फैलाने वाली गतिव‍िधियों को अंजाम दे रहा है। ईरान हमास, हिज्‍बुल्‍लाह और हूतियों को मदद दे रहा है जो इजरायल और अमेरिका पर हमले कर रहे हैं। ईरानी सेना विदेशी में बनी छद्म कंपनियों की मदद से यह तेल बेच पा रही है।

ईरान के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश

इससे पहले 4 फरवरी को अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान के खिलाफ अधिकतम आर्थिक दबाव बनाने का आदेश दिया था। भारतीय कंपनी और अधिकारी के खिलाफ उठाया गया यह ताजा कदम ट्रंप के इसी आदेश का हिस्‍सा है। अमेरिका चाहता है कि इन दबावों के जरिए ईरान के प्रभाव को भी कम किया जा सके।

भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती

ट्रंप के इस कदम से भारत के सामने नई कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। चाबहार बंदरगाह परियोजना भारत की सामरिक और व्यापारिक रणनीति के लिए अहम है। भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह पर 10 साल का समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत, भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) इस बंदरगाह का संचालन करेगी। यह समझौता 13 मई, 2024 को हुआ था। अब देखना होगा कि भारत इस नए दबाव के बीच अपनी रणनीति कैसे तय करता है।

भारत का चाबहार बंदरगाह के लिए 10 साल का समझौता

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। इससे पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत को इसके जरिए अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया से व्यापार करने के लिए नया रूट मिला है। जिससे कि पाकिस्तान की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह पोर्ट भारत और अफगानिस्तान को व्यापार के लिए वैकल्पिक रास्ता है। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

चाबहार पोर्ट के समझौते के लिए भारत से केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल को ईरान भेजा गया था। भारत और ईरान दो दशक से चाबहार पर काम कर रहे हैं। चाबहार विदेश में लीज पर लिया गया भारत का पहला पोर्ट है।

चाबहार पोर्ट भारत के लिए क्यों जरूरी है ?

भारत दुनियाभर में अपने व्यापार को बढ़ाना चाहता है। चाबाहार पोर्ट इसमें अहम भूमिका निभा सकता है। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। ईरान और भारत ने 2018 में चाबहार पोर्ट तैयार करने का समझौता किया था। पहले भारत से अफगानिस्तान कोई भी माल भेजने के लिए उसे पाकिस्तान से गुजरना होता था। हालांकि, दोनों देशों में सीमा विवाद के चलते भारत को पाकिस्तान के अलावा भी एक विकल्प की तलाश थी। चाबहार बंदरगाह के विकास के बाद से अफगानिस्तान माल भेजने का यह सबसे अच्छा रास्ता है। भारत अफगानिस्तान को गेंहू भी इस रास्ते से भेज रहा है।

अफगानिस्तान के अलावा यह पोर्ट भारत के लिए मध्य एशियाई देशों के भी रास्ते खोलेगा इन देशों से गैस और तेल भी इस पोर्ट के जरिए लाया जा सकता है। वहीं ये बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से भी जरूरी है। क्योंकि ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है। ऐसे में ये रूट भारत को चीन खिलाफ यहां से एक रणनीतिक बढ़त भी दे रहा है।

भारतीयों के खिलाफ ट्रंप का एक्शन शुरू, अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लेकर सेना का पहला विमान भारत रवाना

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। तक अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देशों के अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा था, लेकिन अब भारत के अवैध अप्रवासियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी के तहत अमेरिका से सोमवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि सी-17 सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हुआ है।

सेना की मदद से निर्वासन अभियान

अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ली है, जिसके तहत ही सैन्य एयरक्राफ्ट की मदद से लोगों को डिपोर्ट करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसी के बाद अब अमेरिका में बसे भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट करने के लिए अमेरिका से C-17 विमान रवाना हो गया है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अमेरिका का एक सैन्य विमान C-17 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए रवाना हो गया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विमान अगले 24 घंटे तक भारत नहीं पहुंचेगा।

अलग-अलग जगहों के लिए डिपोर्ट किए जा रहे अप्रवासी

इसी के साथ पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए फ्लाइट देना भी शुरू कर दिया है। अब तक, सैन्य विमान प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास ले गए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगा, कैलिफोर्निया से पांच हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को लेकर जल्द ही सेना के विमान उड़ान भरेंगे।

लगभग 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान का दावा

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया जाएगा। ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी-अपनी बातचीत के दौरान अमेरिका में बसे अवैध भारतीयों को लेकर पहले ही चिंता जताई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने इमिग्रेशन को लेकर पीएम से बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि जब अवैध अप्रवासियों को वापस लेने की बात आएगी तो भारत वही करेगा जो सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने लगभग 18,000 भारतीय अप्रवासियों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में हैं।

करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सेना ने लैटिन अमेरिकी देशों में अवैध अप्रवासियों को लेकर छह उड़ानें भरी हैं। हालांकि कोलंबिया ने अमेरिका के विमानों को अपने देश में उतरने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ट्रंप के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने अपने नागरिकों को लाने के लिए अपने ही विमान भेजे थे।